ट्रांसफॉर्मर क्या है ओर इसका कार्य सिद्धान्त । प्रकार

ट्रांसफॉर्मर क्या है ? हिंदी में जानिये

आज आपको ट्रांसफॉर्मर क्या है ? ओर इसका कार्य सिद्धान्त । प्रकार के बारे मेें सभी सवालों के जबाब मिल जायँगे ओर Transformer in hindi की पूरी जानकारी देंगे। Transformer जिसे हिन्दी मे परिणामित्र भी कहा जाता है।आज के Time मे Transformer का नाम तो सभी ने सुना होगा।यह हर size मे देखने को मिल जाता है। Transformer यह बहुत ही जायदा use होने बाली device है। तथा इसमे बिजली का transformation mutual induction दुबारा होता है।और यह ac (alternative current) पे ही काम करता है।


Transformer in Hindi Transformer Kya Hai
Transformer

 यहाँ आप जानेंगें ?

1-Transformer क्या है ? 

2 -Transformer working  Principal

3-Transformer कितने Types

4-Transformer की जरूरत क्यो होती है ?

5-transformer के विभिन्न हिस्से एवं पूर्जे

6- स्टेप-अप और स्टेप-डाउन transformer

7-transformer तेल का शोधन ?

8-ट्रांसफार्मर का उपयोग क्यो होता है ?

9-ट्रांसफार्मर रेटिंग क्या होती है ?

10-Transformer testing

11-ट्रांसफॉर्मर पर important points

 

Transformer क्या है ? (transformer in hindi)

transformer एक स्थिर साधन है जोकि एक ac
परिपथ की power को उसी frequency पर दूसरे ac परिपथ में स्थानांन्तरित करती है परन्तु इसके गुणधर्म भिन्न होते हैं । ये परिपथ चालकता के आधार पर तो अलग होते हैं परन्तु एक परिवर्तनीय चुम्बकीय क्षेत्र के द्वारा एक दूसरे से जुड़े होते हैं।

यह voltage को बढ़ाकर अथवा घटाकर करमशः धारा को घटा अथवा बढ़ा सकता है।

Generation, transmission तथा वितरण voltage का स्तर भिन्न होता है। voltage को उच्च अथवा अतिउच्च करके अधिक दूरी पर आपूर्ति के लिये ट्रांसमीशन transformer का प्रयोग किया जाता है। 

उच्च voltage पर ट्रांसमीशन करने से लाइन में धारा कम हो जाती है अर्थात् चालक का अनुप्रस्थ
क्षेत्रफल कम होता है। वितरण transformer एक स्टेप डाउन transformer होता है और voltage को मानक सेवा voltage अर्थात् 33 k.v./ 11 k.v. , ,
33 k.v./ 0.433 k.v.,11 k.v./0.433 k.v. आदि में step down करने के लिये
उपयोग में लाया जाता है। 

चाहे लोड हो अथवा न हो ये transformer पूरे समय चालू रहते हैं और लोह हास के रूप में ऊर्जा खर्च होती रहती है। परन्तु वितरण transformer के लोह
हास निम्न होने के कारण इनकी दक्षता अच्छी होती है ।

Transformer working  Principal क्या है?


Transformer Mutual  Induction के सिद्धांत पे काम करता है ?

चलिए अब थोड़ा गहराई से समझते हैं ट्रांसफार्मर के अंदर मुख्य रूप से 3 पार्ट होते हैं जिसमें एक mattelic core और दो वाइंडिंग होती है यह दोनों वाइंडिंग बहुत ही अच्छे कंडक्टर कॉपर की बनी होती है इस बाइंडिंग का ट्रांसफार्मर के अंदर विशेष योगदान होता है जब प्राइमरी वाइंडिंग पर एसी वोल्टेज लगाया जाता है तब प्राइमरी वाइंडिंग के आसपास ac flux उत्पन्न हो जाता है और सेकेंडरी वाइंडिंग पर फ्लक्स के कारण वोल्टेज उत्पन्न हो जाता है।

 इस flux का magnitude Flow हो रहे current के समानुपाती होता है इसलिए flux की दिशा या direction flow होने बाले current की direction के अनुसार होती है current की direction को हम right hand grip rule को प्रयोग करके पता कर लेते है 
और Secondary winding  इसी से लिपटी होती है या हम यह कह सकते है कि इसी के पास होती है तब इससे लगे magnetic flux   में निरंतर परिवर्तन होने लगता है।

इस reaction के कारण Electromagnetic Induction से Secondary coil में उसी frequency का Alternative voltage उत्पन्न हो जाता है जिस Frequency  का हमने primary winding में voltage प्रयोग करा था

Transformer कितने Types के होते है ?


Voltage lable के आधार पर Transformer दो प्रकार के होते है 
1-Step Up Transformer 
2-Step Down Transformer

1- Use के आधार पर पर Transformer

Distribution Transformer
Power Transformer
Protection Transformer
Measurement Transformer

2- core के base पर ट्रांसफॉर्मर

1-Iron core Transformer
2-Air core Transformer 


Transformer की जरूरत क्यो होती है ?
आमतौर पर, बिजली 11Kv पर उत्पन्न होती है। किफायती कारणों से Ac बिजली बहुत उच्च वोल्टेज पर transfer होती है, लंबी दूरी पर 220 kv या 440 kv का प्रयोग कर जाता है। इसलिए जनरेटिंग स्टेशनों पर स्टेप-अप ट्रांसफार्मर लगाया जाता है।

transformer के विभिन्न हिस्से एवं पूर्जे

आज के समय मे कई प्रकार के ट्रांसफार्मर हैं और सभी ट्रांसफार्मर में कुछ बिशेष components होते हैं जिन्हें छोटे से छोटे और बड़े से बड़े ट्रांसफार्मर में रखा जाता है। लेकिन जैसा कि आप जानते हैं कि कई प्रकार के ट्रांसफार्मर हैं, यही कारण है कि बड़े ट्रांसफार्मर के अंदर कई घटक स्थापित होते हैं। सभी ट्रांसफार्मर में स्थापित घटकों की सूची नीचे दी गई है, ताकि आपको पता चल जाएगा कि ट्रांसफार्मर में कौन से हिस्से हैं और कौन से हिस्से काम करते हैं और क्या काम करते हैं।

transformer में निम्नलिखित हिस्से पुर्जे होते हैं ?

1. प्राइमरी वाइंडिंग
2. सेकेण्डरी वाइंडिंग
3. transformer टैंक
4. कन्सर्वेटर
5. कूलिंग ट्यूब्स
6. ब्रीदर
7. बुकहॉल्ज रिले
8. एक्सप्लोजन वेण्ट
9. टेप चेन्जर
10. आयल इनलेट वाल्व
11. आयल आउटलेट वाल्व
12. आयल लेविल इण्डीकेटर
13. LT terminal
14. LT terminal
15. टेम्प्रेचर गेज

स्टेप-अप और स्टेप-डाउन transformer क्या हैं ?

 यह वास्तव में एक बहुत ही उपयोगी उपकरण है।  इसके साथ, हम ac circuit में voltage और करंट को आसानी से गुणा या विभाजित कर सकते हैं। 

दरअसल, transformer ने इलेक्ट्रिक पावर की लंबी दूरी के ट्रांसमिशन को एक व्यावहारिक वास्तविकता बना दिया है, क्योंकि ac voltage को लोड तारों के साथ स्टेशनों को जोड़ने वाली बिजली लाइनों के साथ कम तार प्रतिरोध electricity नुकसान के लिए "step up" और वर्तमान "step-down" किया जा सकता है।

 या तो अंत में (दोनों जनरेटर और भार पर), सुरक्षित संचालन और कम महंगे उपकरण के लिए transformer द्वारा voltage का स्तर कम किया जाता है।

 एक transformer जो voltage को प्राथमिक से माध्यमिक तक बढ़ाता है (प्राथमिक घुमावदार घुमावों की तुलना में अधिक माध्यमिक घुमाव बदल जाता है) को चरण-अप transformer कहा जाता है।

 इसके विपरीत, एक transformer को इसके विपरीत करने के लिए डिज़ाइन किया गया step-down transformer कहलाता है।

प्राथमिक और माध्यमिक वाइंडिंग दिखाने वाला transformer क्रॉस-सेक्शन कुछ इंच लंबा (लगभग 10 सेमी) है।

 यह एक step-down transformer है, जैसा कि प्राथमिक वाइंडिंग के उच्च टर्न काउंट और सेकेंडरी के लो टर्न काउंट द्वारा दर्शाया गया है।  step-down यूनिट के रूप में, यह transformer हाई-voltage, लो-करंट पावर को लो-voltage, हाई-करंट पावर में परिवर्तित करता है।

वर्तमान में वृद्धि के कारण secondary winding में उपयोग होने वाला बड़ा-गेज तार आवश्यक है।  प्राथमिक वाइंडिंग, जिसमें ज्यादा करंट नहीं होता है, छोटे-गेज के तार से बना हो सकता है।

transformer तेल का शोधन ?

तेल शोधन का उद्देश्य है कि पानी, कार्बन निपेक्ष, धूल,
कीचड़ मिश्रित नमी और गैसे सभी संदूषित पदार्थ हटाये जायें सबसे बड़े जिस गुण का परीक्षण किया जाना आवश्यक है वह है परावैद्युत शक्ति, जिस पर नमी की उपस्थिति का कुप्रभाव पड़ता है।

कुंडली में इस्तेमाल होने वाली विद्युतरोधी सामग्री नैसर्गिक रूप से आर्द्रताग्राही होती है इसलिये दोषपूर्ण स्वासियों, gasket और अमार्जित तेल के मिश्रण से नमी आ जाती है। अतः जब परावैद्युत शक्ति अनुमत सीमा से कम हो जाती है तो इन अपमिश्रणों को हटाने के लिये तेल को शुद्ध करना अनिवार्य हो जाता है ।
शोधक सयंत्र, insulating oil में आर्क तथा परत या अन्य ठोस कणों से बने विलयन, sludge तथा fiver, गैसों एवं कार्बनिक उत्पादों में अच्छी तरह से धुली हवा / नमी को जल वाष्प तथा नमी के रूप में अलग करने में सक्षम होना चाहिये ।

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ट्रांसफार्मर का उपयोग क्यो होता है ?

ट्रांसफार्मर का मुख्य उपयोग उच्च वोल्टेज से कम वोल्टेज या कम वोल्टेज से उच्च वोल्टेज में विद्युत शक्ति को परिवर्तित करना है।  ऐसा करने से विद्युत ऊर्जा के उपयोग में सुविधा और दक्षता आती है।  यह महत्वपूर्ण है कि आदर्श ट्रांसफार्मर  (ideal transformer) ऊर्जा या शक्ति उत्पन्न नहीं करता है, न ही यह amplification को बदलता है, न ही यह frequency को बदलता है। 



  आइये अब जानते हैं ट्रांसफार्मर के महत्वपूर्ण कार्यों के बारे में: -

 1. उनका उपयोग एक सर्किट से दूसरे सर्किट में वोल्टेज स्तर को बढ़ाने या घटाने के लिए किया जाता है।  जहां वोल्टेज स्तर को बढ़ाने के लिए स्टेप-अप ट्रांसफार्मर का उपयोग किया जाता है, वहीं वोल्टेज स्तर को कम करने के लिए स्टेप-डाउन ट्रांसफार्मर का उपयोग किया जाता है।

 2. ट्रांसफार्मर का उपयोग स्रोत और लोड प्रतिबाधा (impedance) से match करने के लिए भी किया जाता है ताकि अधिकतम बिजली transfer किया जा सके।

3. एक सर्किट को दूसरे से isolate करने के लिए ट्रांसफार्मर का उपयोग किया जाता है।  इन ट्रांसफार्मर को आइसोलेशन ट्रांसफॉर्मर कहा जाता है।  इन isolation  ट्रांसफार्मर में, प्राथमिक और secondary winding के घुमावों (turns) की संख्या समान होती है।  इसलिए, इन दो इलेक्ट्रिक सर्किट में वोल्टेज स्तर में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

  ताकि दोनों सर्किटों का वोल्टेज स्तर न बदले, लेकिन वे दोनों सर्किटों को विद्युत रूप से अलग करते हैं।

ट्रांसफार्मर रेटिंग क्या होती है ?

ट्रांसफॉर्मर रेटिंग की अगर हम बात करे तो ट्रांसफार्मर पे  manufacturer company नाम प्लेट लगाती है, इसको हम आसानी से पढ़ कर समझ सकते है जैसे की transformer इनपुट वोल्टेज कितना आएगा transformer कितना वोल्टेज आउट करे फ्रीक्वेंसी क्या hogi, india की अगर हम बात करे तो फ्रीक्वेंसी 50 hz रहता है transformer type के बारे में भी ने प्लेट में लिखा होगा आप उसको पढ़ के आसानी से  समझ सकते है

 Transformer testing in hindi

किसी भी device को start करने से पहले उसका testing बहुत ही जरुरी होता है। बिना टेस्ट किये हुवे आपको किसी भी device में पावर नहीं देना चाहिए बहुत बार transformer malfunction होने के कारण accident हो सकता है।

इसलिए transformer में पावर देने से पहले उसको check करना जरुरी होता है। अगर वो testing में पास होता है तो आप उसको use कर सकते है 

क्योकि इलेक्ट्रिक का कम बहुत ही रिस्क वाला होता है और ट्रांसफार्मर में ज्यादातर high voltage रहता है टेस्टिंग करने के बाद आप पूरी तरह satisfy हो जायेंगे और आपको पावर देने में कोई परेशानी नहीं होगी।

बैसे तो जितने भी ट्रांसफार्मर होते है उसका testing अलग अलग तरीके से किया जाता है पावर ट्रांसफार्मर हो या distribution ट्रांसफार्मर हो टेस्टिंग में सब समान ही होता है 

सबसे जरुरी है हमें ट्रांसफार्मर नाम प्लेट जिसमे हमें कुछ details मिलेगा ट्रांसफार्मर कितना रेटिंग का है इनपुट वोल्टेज क्या है आउटपुट वोल्टेज क्या है 

ट्रांसफॉर्मर पर important points

ट्रांसफॉर्मर एक static machine है।

सिलिकॉन स्टील कोर का उपयोग कम आवृत्ति ट्रांसफार्मर में किया जाता है।  उच्च आवृत्ति (10 kHz से सैकड़ों kHz) के ट्रांसफार्मर फेराइट कोर का उपयोग करते हैं।  ट्रांसफार्मर को बिना कोर के भी बनाया जा सकता है (Air-core transformer).


ट्रांसफार्मर डीसी के साथ काम नहीं कर सकता क्योंकि फ्लक्स समय के साथ नहीं बदलता है।  यहां तक ​​कि एक से दो वोल्ट डीसी current से 220 वोल्ट के ट्रांसफार्मर को देने से इसके प्राइमरी winding में बहुत ज्यादा करंट प्रवाहित होगा और यह जल सकता है।

यदि एक ट्रांसफार्मर को f1 फ्रीक्वेंसी और V1 वोल्टेज के लिए डिज़ाइन किया गया है, लेकिन f2 फ्रीक्वेंसी और V1 वोल्टेज पर काम किया जाता है -

  ट्रांसफॉर्मर को अधिक करंट से गर्म हो सकता है, अगर f2 <f1।

  ट्रांसफार्मर को कोई विशेष समस्या नहीं होगी यदि, f2> f1।  (लेकिन अगर f2 बहुत अधिक है, तो उच्च आवृत्ति कोर का उपयोग करके  ट्रांसफार्मर डिजाइन करना बेहतर होगा।)

एक ट्रांसफार्मर की दक्षता उस लोड पर सबसे अधिक होती है जिस पर लोड लोहे के नुकसान (iron loss)और तांबे के नुकसान (copper loss) के बराबर होता है।

ट्रांसफार्मर के कोर में दो प्रकार के ऊर्जा नुकसान हैं - भंवर-धारा हानि और हिस्टैरिसीस हानि।  पतले स्ट्रिप्स (टुकड़े टुकड़े) के साथ कोर बनाने से भँवर-धारा क्षति को कम किया जाता है।  (इन पट्टियों में सतह पर एक इन्सुलेट परत होती है।)

ट्रांसफॉर्मर जरूरी नहीं कि केवल दो winding हों।  तीसरी, चौथी वाइंडिंग भी हैं।  ऑटोट्रांसफॉर्मर में केवल एक वाइंडिंग होती है।

वैरियक (variac) ऑटोट्रांसफ़ॉर्मर है जिसमें इनपुट और आउटपुट का अनुपात नहीं बदलता है लेकिन इसे निरंतर तरीके से बदला जा सकता है।  इसके लिए ब्रश द्वारा एक मूविंग कॉन्टैक्ट बनाया जाता है।

ऑटोट्रांसफॉर्मर्स एक ही रेटिंग के दो घुमावदार ट्रांसफार्मर की तुलना में छोटे और सस्ते हैं।


Three phase ट्रांसफार्मर- 


चूंकि 3 phase का उपयोग अक्सर बिजली वितरण प्रणालियों के लिए किया जाता है, यह समझ में आता है कि हमें Three phase ट्रांसफार्मर के वोल्टेज को up या down करने में सक्षम होने की आवश्यकता होगी।

लेकिन ज्यादातर आजकल हम सिंगल फेज ट्रांसफॉर्मर थ्री फेज ट्रांसफार्मर के रूप में बदल लेते हैं जिससे यह थ्री फेज ट्रांसफार्मर की आवश्यकता खत्म हो जाती है


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ट्रांसफॉर्मर क्या है ओर इसका कार्य सिद्धान्त । प्रकार ट्रांसफॉर्मर क्या है ओर इसका कार्य सिद्धान्त । प्रकार Reviewed by Rajeev Saini on January 12, 2018 Rating: 5

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